प्रेस रिलीज
भारतीय रेल देश के करोड़ों जनता के लिए लाइफलाइन है. इसके संचालन से देश की जनता को देश के कोने कोने में आवागमन करने में काफी सहूलियत होती है. लेकिन हाल के दिनों में देखा गया है कि रेलवे में भ्रष्टाचार भी तेजी से बढ़ रहा है. चक्रधरपुर रेल मंडल भी भ्रष्टाचार की चपेट में हैं. जिससे आम रेल यात्रियों को रेलवे में सफ़र करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है. रेलकर्मी से लेकर रेल अधिकारी तक भ्रष्टाचार का एक सिंडिकेट बनाकर रेलवे को भ्रष्टाचार का चारागाह बना चुके हैं. टिकट काउंटर से लेकर ट्रेन में रेलकर्मी यात्रियों से अवैध वसूली कर रहे हैं. जिससे आम यात्री काफी परेशान हैं.
इन्हीं शिकायतों पर गंभीरता से विचार करते हुए राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन के द्वारा दो बार रेलवे के वरीय पदाधिकारियों को तथ्यों के साथ लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गयी थी. लेकिन 6 महीने बीत जाने पर भी भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का कोई सकारात्मक कदम रेलवे के द्वारा नहीं उठाया गया. जिससे साफ़ है कि चक्रधरपुर मंडल के रेल अधिकारी भी भ्रष्टाचार का हिस्सा बन चुके हैं. इसलिए राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन स्टिंग ऑपरेशन कर भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए मजबूर हुआ.
टिकट दलालों के द्वारा रिजर्वेशन काउंटर को कब्जे में लेकर टिकटों की कालाबाजारी करने कि सबसे ज्यादा शिकायत राउरकेला से मिल रही थी. पिछले दिनों 7 जनवरी, 2025 को मेरे द्वारा राउरकेला रिजर्वेशन काउंटर का स्टिंग ऑपरेशन किया गया. यहाँ राउरकेला रिजर्वेशन काउंटर में टिकट दलालों का वर्चस्व देख मैं दंग रह गया. सही मायने में यहाँ रेलवे रिजर्वेशन काउंटर रेलवे के रिजर्वेशन क्लर्क नहीं बल्कि रेल टिकट की कालाबाजारी करने वाले टिकट दलाल चला रहे हैं कहूँ तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. राउरकेला स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर में टिकट दलाल हमेशा मौजूद रहते हैं.
इनकी सक्रियता विशेषकर तत्काल टिकट के समय सुबह 10 बजे और 11 बजे के समय बढ़ जाती है. मैंने तत्काल टिकट के समय राउरकेला रिजर्वेशन काउंटर का स्टिंग ऑपरेशन किया. स्टिंग ऑपरेशन के दौरान मैंने देखा कि सभी टिकट काउंटर पर रेल टिकट की कालाबाजारी करने वाले टिकट दलाल के लोग काउंटर की खिड़की के सामने सबसे आगे खड़े हैं. वे लोग धड़ाधड़ एक के बाद एक तत्काल टिकट बनाते जा रहे हैं और नोटों की गड्डी निकालकर टिकट काउंटर में देते जा रहे हैं. रिजर्वेशन क्लर्क भी टिकट दलालों का पूरा सहयोग कर रहे हैं. एक टिकट दलाल पांच-पांच टिकट लेकर जा रहा था. जबकि लाइन में पीछे खड़े लोग अपनी बारी का इंतजार करते रह जा रहे थे. स्टिंग ऑपरेशन के दौरान मुझ पर शक होने पर टिकट दलाल के गुंडे मेरे पीछे भी लग गए थे और मुझ पर नजर रख रहे थे. मेरी तस्वीर ले रहे थे. इसलिए मैं स्टेशन मास्टर के पास जाकर इसकी शिकायत ऑन स्पॉट नहीं कर पाया. मैं ऐसा करता तो मेरे ऊपर टिकट दलाल हमला भी कर सकते थे. उनकी संख्या काफी ज्यादा थी.
काउंटर में बैठे किसी भी रिजर्वेशन क्लर्क ने अपना नेम बैच नहीं लगाया था और ना ही कोई क्लर्क यूनिफॉर्म में सही तरह से था. काउंटर में एक क्लर्क पैसा गिन रहा था, दूसरा टिकट बना रही थी. तीनों काउंटर की खिड़की को टिकट दलाल आगे में खड़े होकर जाम करके रखे हुए थे. किसी को भी आगे आने नहीं दे रहे थे. टिकट दलाल नोटों की गड्डियां निकाल कर दे रहे थे. दलाल को एक साथ 5-5 टिकट दिया जा रहा था. आम पब्लिक को टिकट नहीं मिल रहा था. महिला क्लर्क बोल रही थी लिंक फेल हो गया और मुझे दूसरे काउंटर में जाने को बोल रही थी जबकि उसके प्रिंटर से टिकट निकल रहा था. फिर वो टिकट को निकालकर अपने पास ही रख ली. रेल यात्री से अभद्रता से बातें कर रही थी.
यह कहना भी गलत होगा कि सभी रिजर्वेशन क्लर्क टिकट दलालों का काम करते हैं. क्योंकि चक्रधरपुर रेल मंडल में पूरे सिस्टम को ही रेल अधिकारियों ने इतना गन्दा कर दिया है कि बचे हुए ईमानदार रेलकर्मी भी भ्रष्टाचार के दलदल में डूबने को मजबूर हैं. क्योंकि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ गए तो उनको फंसा कर उनके ऊपर उल्टे रेल अधिकारी कार्रवाई कर देंगे.
आश्चर्य की बात है कि टिकट दलाल रेलवे का स्टांप मार कर आम लोगों को तत्काल में लाइन नंबर दे रहा था. सभी काउंटर को तत्काल के समय टिकट दलाल अपने कब्जे में रखे हुए थे. तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा टिकट दलाल रिजर्वेशन काउंटर में मौजूद थे. कुछ दलाल काउंटर को जाम कर रखे थे, कुछ उनको पीछे से कवर कर रहे थे, कुछ प्रवेश द्वार आसपास खड़े होकर आने जाने वालों पर नजर रख रहे थे. तत्काल के समय रेल टिकट दलाल रिजर्वेशन काउंटर में अचानक आ धमकते हैं और एक लुटेरों की तरह सारा तत्काल टिकट लूट कर बाहर निकाल ले जाते हैं.
आम लोगों को एक भी टिकट नहीं मिल पाता है. कुछ लोग टिकट नहीं मिलने पर हंगामा भी करते हैं लेकिन उनको सुनने वाला कोई नहीं रहता है. काउंटर पर आरपीएफ भी नहीं जाती है. सीआईबी भी इस तरह के गतिविधियों पर नजर नहीं रखता है. कमर्शियल इन्स्पेक्टर (सीआई) भी सब कुछ जानकर अंजान बना रहता है. आरपीएफ, सीआईबी, सीआई की टिकट दलाली को संरक्षण देने और इस गोरखधंधे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. जानकारी है कि टिकट दलाली का पैसा सभी को बंटता है. पुराने टिकट दलालों ने खुलासा किया कि अभी टिकट दलाली की रिश्वत का रेट काफी बढ़ चुका है, जिसके कारण उसने काम छोड़ दिया है. सभी ज्यादा पैसों की डिमांड करते हैं. क्लर्क, आरपीएफ, सीआईबी, सीआई, रेल मंडल मुख्यालय के बड़े आरपीएफ अधिकारी और कमर्शियल अधिकारी तक पैसा जाने कि बात कही जा रही है.
मैं 6 महीने से शिकायत कर रहा हूं लेकिन सीनियर डीसीएम कार्रवाई ही नहीं करते हैं. उल्टे मुझको डराने धमकाने का प्रयास करते हैं. उनको चिंता इस बात की लगी रहती है कि कौन उसके विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार की जानकारी लीक कर रहा है. वो चाहते ही नहीं है कि कोई भी भ्रष्टाचार की जानकारी ऑफिस से बाहर जाए. ऐसे पदाधिकारियों से जांच और कार्रवाई की उम्मीद करके बैठना मुश्किल है. क्योंकि इनकी मंशा ही नहीं है भ्रष्टाचार को खत्म करने की. क्योंकि जितने ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ेगा इनकी जेब भी उतना ज्यादा भरेगी. इसलिए मुझे वो काम करना पड़ा जो इन अधिकारियों को करना चाहिए था. आठ आठ सीसीटीवी कैमरे भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिए लगाये गए हैं. लेकिन कभी भी इन सीसीटीवी में कैद तस्वीरों कि जांच नहीं की जाती है.
इस मामले की मैं सीबीआई जांच की भी मांग करता हूं. क्योंकि इसमें बड़े अधिकारियों की भी संलिप्तता नजर आ रही है. जब एक छोटा सा रिजर्वेशन क्लर्क महीने में डेढ़ लाख टिकट दलाली के रिश्वतखोरी से कमा रहा है तो फिर इन अधिकारीयों तक मामले को दबाये रखने के लिए कितना रिश्वत जाता होगा. इस पर उच्च स्तरीय जांच की जरुरत है. मैने एक महीने के सीसीटीवी वीडियो फुटेज की जांच की मांग की है. उस जांच के भी हो जाने के बाद सारे तथ्य खुले तौर पर सामने आ जाएंगे. क्योंकि सीसीटीवी कैमरा लगा तो दिया गया है लेकिन आज तक कभी भी इसकी जांच नहीं की गई है. सिर्फ इसलिए क्योंकि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना इनका मूल मकसद रहा है.
इस मामले में विजिलेंस का भी अहम रोल है. एक विजिलेंस जो कभी यहां दलालों का काम करता था आज वह विजिलेंस निरीक्षक बनकर टिकट दलाल और क्लर्क की टिकट कालाबाजारी करने में मदद कर रहा है, उन्हें संरक्षण दे रहा है. चक्रधरपुर रेल मंडल में राउरकेला इकलौता स्टेशन नहीं है जहां टिकट दलाल हावी हैं और रिजर्वेशन क्लर्क की सांठगांठ से टिकट की कालाबाजारी की जा रही है. इस रेल मंडल के टाटानगर, चक्रधरपुर, झारसुगुड़ा, चाईबासा, डोंगवपोशी, बड़बिल आदि स्टेशनों में भी टिकट दलाल हावी हैं. लेकिन सबसे ज्यादा शिकायत राउरकेला से आ रही है. इसलिए मेरे पहला स्टिंग ऑपरेशन की पहली कार्रवाई राउरकेला में की गई है. इसके बाद अन्य स्टेशनों में भी कार्रवाई की हमारी योजना है. ताकि जनता के सामने रेल टिकट दलाली कालाबाजारी की सच्चाई सामने आ सके.
राउरकेला सेक्शन में ही यात्री ट्रेन से कोयले की तस्करी होती है, लकड़ी की तस्करी होती है। मालगाड़ी से कोयले की चोरी होती है. अवैध वेंडर को खाने पीने सहित अन्य चीजों को बेचने की खुली छूट दी जाती है. वेटिंग हॉल में अवैध वसूली होती है. पार्सल में भी भ्रष्टाचार चरम पर है लेकिन जानकारी देने के बाद भी यहां कार्रवाई नहीं होती है. आम रेल यात्रियों के पास इतना वक्त नहीं कि वे शिकायत करें या शिकायत कर भी दिया तो उसको उसके अंजाम तक पहुँचाने तक फ़ॉलो करें. अगर भ्रष्टाचार मिटाने है तो अधिकारियों के भरोसे बैठना व्यर्थ है. आम नागरिकों को ही जागरूक बनकर शिकायत करनी होगी और कार्रवाई होने तक उसका पीछा करना होगा. क्योंकि अधिकारी अब अपने पद और पॉवर का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं।।