राष्ट्रीय बालिका दिवस की सभी को शुभकामनाएं
डॉ मंजू राठी, राठी हॉस्पिटल किशनगढ़ ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बालिकाओं को विधिक जानकारी दी। और स्कूल की लाइब्रेरी के लिए डॉक्टर मंजू राठी द्वारा लिखित
" चुप्पी तोड़ो- खुलकर बोलो "
" किशोरावस्था में बालिकाओं का शारीरिक परिवर्तन - शंकाएं एवं समाधान" यह पुस्तक भेंट की गई ।
NCCHWO एवं सखी सहेली संस्था और के संयुक्त तत्वाधान द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस किशनगढ़ शहर के दो स्कूलों में सीपीआर ट्रेंनिंग कार्यशाला और किशोरावस्था में लड़कियों में आने वाले बदलाव, चिंताएं और समाधान ( जागरूक बेटी) पर कार्यशाला का आयोजन करके बालिकाओं को जागरूक किया और बिस्कुट के पैकेट वितरित कर सभी बालिकाओं को बधाई दी गई।
NCCHWO एवं सखी सहेली ने संयुक्त रूप में आज राष्ट्रीय बालिका दिवस राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय किशनगढ़ शहर एवं राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गुजरिया वास किशनगढ़ शहर में मनाया। मां सरस्वती की पूजा करके दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
अध्यक्षा डॉ .मंजू राठी ने राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व और उसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला और साथ ही लड़की होना अभिशाप नहीं है बल्कि एक वरदान है क्योंकि लड़की एक शक्ति है और उस शक्ति का हमें भरपूर उपयोग करके हमें एक सामान्य लड़की से एक" जागरूक लड़की" बनना है और उसके लिए किशोरावस्था से ही हमें स्वयं का ध्यान रखना चाहिए ताकि हर लड़की अपना सपना पूरा करके आसमान में ऊंची उड़ान भर सके, इसके लिए बहुत ही ओजस्वी शब्दों में लड़कियों को आगे बढ़ने की नसीहत दी।
24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, अत: इस दिन देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इसलिए इस दिन को" राष्ट्रीय बालिका दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस के मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए डॉ मंजू राठी ने बहुत ही सरल शब्दों में बालिकाओं को अपने अधिकारों प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर पहल करते हुए बालिकाओं में एक सकारात्मक नजरिया पैदा हो ताकि उनके शरीर में आने वाले बदलावों से वह घबराएं नहीं बल्कि उनका सामना करें और उनको अपनी शक्ति का एहसास हो।
डॉ मंजू राठी ने बालिकाओं को उनके स्वास्थ्य के बारे में, उनके मासिक धर्म के बारे में, सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल और उसका प्रबंधन कैसे किया जाए और उनका प्रॉपर डिस्पोजेबल कैसे किया जाए ,एनीमिया, कैल्शियम की कमी, विटामिन D3 की कमी के के बारे में विस्तृत चर्चा की। और उसका इलाज कैसे किया जाए इसके बारे में बालिकाओं को समझाया।
माहवारी स्वच्छता प्रबंधन कैसे किया जाए इसके बारे में पूरी जानकारी बालिकाओं को होना जरूरी है।
इन सभी की जानकारी के लिए डॉक्टर मंजू राठी ने अपनी एक पुस्तक "चुप्पी तोड़ो -खुलकर बोलो" यह बालिकाओं के लिए लिखी है जिसमें किशोरावस्था में बालिकाओं का शारीरिक परिवर्तन और उनकी शंकाएं एवं समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी चित्रों के साथ दी गई है और डॉक्टर मंजू राठी ने यह पुस्तक स्कूल की प्रिंसिपल को भेंट स्वरूप उनके लाइब्रेरी में रखने के लिए दी है।और वह समाज सेवी संस्थाओं से अपील करती है कि यह पुस्तक हर बच्ची के पास पहुंचाने में उनकी मदद करें।
सीपीआर ट्रेनिंग कार्यशाला का किशनगढ़ शहर के दो राजकीय उच्च बालिका स्कूलों में आयोजन
हाल ही में हेल्थ मिनिस्ट्री ने यह ऐलान किया है कि वह 10 लाख लोगों को सीपीआर तकनिक सिखायेगा। 2021-22 से कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मृत्यु में 12.5 परसेंट की बढ़ोतरी 2022 -23 में हो चुकी है। यह रिपोर्ट एनसीआरबी ने अपने रिकॉर्ड द्वारा दी है ।
डॉ मंजू राठी अध्यक्ष ने यह बीड़ा बहुत पहले ही उठाया हुआ है ।करीब 5000 लोगों को वह सीपीआर ट्रेनिंग दे चुकी है और उनका मिशन 1 लाख लोगों को ट्रेनिंग देना है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे जो कि देश का भविष्य है और आम जनता को इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल किया जाए ।
N C C H WO एवं सखी सहेली और प्रदेश अध्यक्ष डॉ मंजू राठी ने इस अवसर पर सीपीआर तकनीक कार्यशाला आयोजित की गई।
डमी पर और लाइव डेमोंसट्रेशन के साथ सीपीआर कैसे दिया जाता है, किन परिस्थितियों में दिया जाता है और गोल्डन पीरियड में इस तकनीक लाभ कितना महत्वपूर्ण है इसकी महत्वपूर्ण जानकारी बच्चों को और वहां उपस्थित सभी महानुभावों को और शाला स्टाफ को दी गई।
डॉ मंजू राठी ने स्कूल के विद्यार्थियों और अध्यापकों के साथ विस्तृत चर्चा की और डेमोंसट्रेशन दिया और विद्यार्थिनियों को हैंड ऑन ट्रेनिंग भी दी।
सीपीआर एक ऐसी तकनीक है जिससे अगर वक्त पर यह तकनीक का उपयोग किया जाता है तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। और इसी सिलसिले में डॉ मंजू राठी जो काफी समय से निरंतर देश की जनता को और स्टूडेंट को सीपीआर की ट्रेनिंग देने के लिए जगह-जगह कार्यशाला का आयोजन कर रही है और लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास कर रही है।
*DRS-ABC के माध्यम से समझाई इमरजेंसी में इंसान की जान बचाने की तकनीक*
डॉ मंजू राठी ने इमरजेंसी में इंसान की जान बचाने में कैसे मदद की जाए इसकी ट्रेनिंग देने का जो बीड़ा उठाया है उसी कड़ी में आज कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों को सीपीआर की हैंड ऑन ट्रेनिंग डमी पर दी गई जिसमे स्टूडेंट और अध्यापकों को ट्रेनिंग दी गई।
बच्चे इस देश के फ्यूचर है और बच्चों को यह तकनीक आना बहुत जरूरी है इसी उद्देश्य से डॉक्टर मंजू राठी ने स्कूल में बच्चों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया। सीपीआर क्या है, क्यों आना जरूरी है और सीपीआर की तकनीक क्या है इन सभी बातों का विश्लेषण किया।
प्रदेश अध्यक्ष मेडिकल सेल NCCHWO डॉ मंजू राठी ने सीपीआर तकनीक का डेमोंसट्रेशन डमी पर करके दिखाया और बच्चों को सीपीआर तकनीक का उपयोग कैसे और किन हालातों में करना चाहिए इसकी जानकारी दी सीपीआर देने के लिए डॉक्टर की जरूरत नहीं है आप इसे खुद दे सकते है। हां, इसके लिए आपको सही तकनीक पता होना जरूरी है । आए दिन होने वाले अनेक एक्सीडेंट , बिजली का करंट, दम घुटने से, पानी में डूबने की वजह से , हार्ट अटैक, जहरीला पदार्थ का सेवन करने की वजह से कई लोग अपनी जान गवा बैठते हैं । अगर सही समय पर सीपीआर दिया जाए तो कई लोगों की जान बच सकती है।
DRS ABC क्या होता है इसके बारे में विस्तार से बताया ताकि सभी को ध्यान रहे कि उन्हें क्या स्टेप्स अपनानी है और कैसे सीपीआर देना है। जिससे सभी को आसान तरीके से सीपीआई के स्टेप से याद रहे।
D- for Danger
पहला स्टेप उस इंसान को डेंजर से दूर लेकर जाना।
R- for Response
दूसरा स्टेप रिस्पांस देखना, बात करना, नाम पूछना, गालों पर थप्पी मार के जगाने की कोशिश करना या सर के ऊपर टैप करना यह इसमें आते हैं।
S- for Send Request
यह तीसरा स्टेप है जिसमें हम किसी की मदद लेकर उसे एंबुलेंस को फोन करने के लिए कह सकते हैं या फिर अगर कोई दूसरा नहीं है तो हम स्वयं भी एंबुलेंस को फोन करें , अपनी लोकेशन का पता दे ,घायलों की जानकारी दें या मरीज की जानकारी दे।
A- for Airway
इसमें हम उस इंसान का एयरवे यानी की नाक और मुंह चेक करते हैं ।अगर कोई चोट हो , या मुंह में कुछ हो तो पहले उसको बाहर निकाले ,अगर दांत टूट गया और दांत अंदर चला गया है तो उसे बाहर निकाले ,खून हो तो खून साफ करे।
B- for Breathing
इसमें हमें इंसान की सांस देखनी है कि इंसान सांस ले रहा है कि नहीं ले रहा है,अगर नहीं ले रहा है तो हमें सीपीआर देना चाहिए
C-for Circulation or CPR
इसमें हम इंसान की पल्स ,हाथ में या गर्दन में करॉटिड पल्स हाथ की तीन उंगलियां से महसूस करने की कोशिश करेंगे। या फिर दिल की धड़कन सुनने की कोशिश करेंगे ।
अगर हमें कैरोटीड या फिर हृदय गति नहीं महसूस हो रही है तो हम सीपीआर देना शुरू करेंगे।
सबसे पहले अगर उस इंसान ने कपड़े टाइट पहने हुए हो तो उसके कपड़े ढीले किये जाए।
उसके बाद दोनों हाथों को लॉक करते हुए इंसान के छाती के बीच में हथेलियां से शोल्डर से प्रेशर लगाते हुए 30 बार कंप्रेशन देंगे और उसके बाद दो बार मुंह से सांस देंगे। छाती को दबाते वक्त अपने हाथ सीधे रहना जरूरी है और उस इंसान की छाती 5 सेंटीमीटर यानी की 2 इंच दबनी चाहिए और कंप्रेशन का रेट 100 से 120 बार एक मिनट में होना चाहिए और हर 30 कंप्रेशन के बाद दो सांस देना जरूरी है। सांस देते वक्त उस इंसान की छाती फूल रही है कि नहीं इसकी तरफ भी ध्यान देना होता है। इस तरह से यह प्रक्रिया दोहराई जानी चाहिए जब तक की इंसान रिस्पांस देना शुरू नहीं कर दे या आपके पास कोई मेडिकल ऐड नहीं पहुंच जाती है ।
डॉ मंजू राठी ने बताया कि वह सीपीआर ट्रेनिंग प्रोग्राम आगे भी करती रहेगी जिससे एक्सीडेंट ,कोरोना के बाद बढ़ने वाले हार्ट अटैक की वजह से, या और कोई वजह से हृदय की गति रुक जाती है ,सांस रुक जाती है तो उस गोल्डन पीरियड में यह तकनीक बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है जिससे इंसान की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। और यह तकनीक हर एक को आना चाहिए।
इस अवसर पर सखी सहेली की तरफ से श्रीमती मानकवार जी गोयल ललिता जी सारडा ,बबीता जी संचेती ,स्कूल के प्रधानाध्यापक और सभी अध्यापक उपस्थित रहे ।
अध्यापक और बच्चों ने बढ़ चढ़कर सवाल पूछे और डॉक्टर मंजू राठी ने उन सवालों का निराकरण किया और बच्चों को डमी पर ट्रेनिंग दिलवाई। सीपीआर ट्रेंनिंग की इस कार्यशाला का आयोजन स्कूलों में आगे भी होता रहेगा ऐसा आश्वासन दिया।