प्रदेश निदेशक NCCHWO महाराष्ट्र अनाथ बच्चों के साथ दीवाली मनाते हुते।
कोई इन्हें भी याद कर लो, इनकी भी तो दीवाली है: तुलसीराम त्रयंबके, प्रदेश डायरेक्टर, महाराष्ट्र, NCCHWO।।
हम सब लोग दीवाली के त्यौहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं और बड़े धुमधाम से मनाते हैं, अपनों को और अपने से बड़े लोगों को तोहफे देते हैं। मगर समाज का एक ऐसा वर्ग भी है जिन्हें हम भूल जाते हैं, जबकि उनकी भी दीवाली होती है, वो भी सोचते हैं कि काश, हमारा भी कोई अपना होता, वो है अनाथालय में रह रहे बच्चे।। हम बहुत से पैसे पटाखों पर लगाते है, परंतु जहां हम दस हजार के पटाखे चलाते हैं, उसकी जगह अगर हम उनपर दो हजार खर्च करके अपनी खुशी भी जाहिर कर सकते हैं और बाकि का बजट इन दबे कुचले बच्चों पर, जिनका कोई नहीं, उनपर खर्च करें तो देखना वो कितने खुश होगें और आपको भी कितनी शांति मिलती है।।
इस तरह की पहल NCCHWO के प्रदेश निदेशक श्री तुलसीदास त्रयंबके ने की, उसने अनाथालय के बच्चों के साथ जाकर यह दीवाली मनाई, उनको तोहफे दिये और उनको यह एहसास करवाया कि उनके भी अपने है।। श्री त्रयंबके के इस प्रयास को संगठन के राष्ट्रीय मुख्य सचिव ने बहुत सराहा और कहा कि अगर हम सब ऐसा करना शुरू कर दें तो देश में किसी की भी दिवाली काली नहीं होगी। हमारे आस पास ऐसे बहुत से लोग होते हैं और हमें त्योहार मनाते हुते देखते हैं तो तरसते हैं कि काश हमें भी ऐसा मौका मिलता, मगर हम यह सब देखकर अनदेखा कर देते हैं।। हम सबको हरेक त्यौहार पर अपने आस पास भी नजर रखनी चाहिए और अपने बजट का कुछ हिस्सा ऐसे लोगों पर खर्च करना चाहिए, ताकि कोई भी किसी भी त्यौहार को मनाने से वंचित न रहे।।
संगठन के राष्ट्रीय चेयरमैन, प्रशासक, अध्यक्षा एवं बाकि सदस्यों ने श्री त्रयंबके की सराहना की।।