गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जनकल्याण संगठन और सखी सहेली वेलफेयर संस्था द्वारा स्कूल में सीपीआर ट्रेंनिंग कार्यशाला का आयोजन और किशोरावस्था में होने वाले बदलावों पर जागरुकता , हरियालो राजस्थान के तहत पौधारोपण और लड़कियों को सेनेटरी किट का वितरण किया गया।
सीपीआर ट्रेंनिंग कार्यशाला
सीपीआर यह बेसिक लाइक सपोर्ट तकनीक में आता है और सीपीआर हर इंसान को आना जरूरी है। बाहरी देशों में सीपीआर की ट्रेनिंग स्कूलों से ही दी जाती है ,लेकिन अपने यहां पर अभी भी इसकी कमी है ।और इसी की वजह से आपातकालीन स्थिति में जान बचाने में आम इंसान मदद नहीं कर पाता और जब तक डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है। इसलिए डॉ मंजू राठी ने पूरे भारत में हर इंसान को सीपीआर सीखाने का बीड़ा उठाया है । सखी सहेली संस्था की अध्यक्षा और राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण और जनकल्याण संगठन मेडिकल सेल की अध्यक्ष डॉ मंजू राठी ने सीपीआर तकनीक का उपयोग कैसे और किन हालातों में करना चाहिए इस कार्यशाला का आयोजन करके स्कूल के बच्चों और स्टाफ को डमी पर सिखाई। बच्चों को हैंन्ड्स ऑन ट्रेनिंग भी दी गई। डॉ राठी ने बताया कि सीपीआर देने के लिए डॉक्टर की जरूरत नहीं है इसे हम खुद दे सकते है। हां, इसके लिए आपको सही तकनीक पता होना जरूरी है । आए दिन होने वाले अनेक एक्सीडेंट , बिजली का करंट, भगदड़, आग से दम घुटना , माइनिंग के वक्त दम घुटने से, पानी में डूबने की वजह से , हार्ट अटैक, जहरीला पदार्थ का सेवन करने की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं । अगर सही समय पर सीपीआर दिया जाए तो कई लोगों की जान बच सकती है।
बबीता संचेती ने बताया कि सखी सहेली संस्था पिछले कई सालों से सीपीआर की कार्यशाला आयोजित करके देश के बच्चों को सीपीआर की ट्रेनिंग देने का जो बीड़ा उठाया वह पूरा करने की कोशिश कर रही है।
किशोरावस्था में होने वाले मानसिक तनाव पर मोटिवेशनल प्रोग्राम
भारत युवाओं का देश है और किसी भी देश की प्रगति युवाओं की संख्या बल पर टिकी होती है । भारत में युवा सबसे अधिक है ,सक्षम, सुदृढ़ युवा इस देश की अमानत है। लेकिन
आजकल छात्रों-बच्चों में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिनके आंकड़े डरावने वाले हैं। किशोरावस्था में होने वाले बदलाव - शारीरिक ,मानसिक, भावनात्मक बदलाव की वजह से बच्चे अपने आप को एडजस्ट नहीं कर पाते यह उनके शरीर में होने वाले हारमोंस पर निर्भर करता है और इन्हीं बच्चों को अपने इन बदलाव के बारे में संपूर्ण जानकारी देना और उनका मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ और सुदृढ़ बनाना ताकि आने वाले जीवन में वे अपने लिए और इस देश के लिए अहम भूमिका निभा सके। बच्चों में बढ़ती हुई आत्महत्याओं को रोकना भी हमारा कर्तव्य है और इसी कड़ी में डॉक्टर मंजू राठी द्वारा बच्चों को उनके शरीर में किशोरावस्था में होने वाले बदलाव (एडोलिसेंस अवेयरनेस प्रोग्राम) अनेक स्कूलों में आयोजित करती है।अगर बच्चे को किसी प्रकार की कोई तकलीफ है तो वह अपने दोस्तों के साथ अपने माता-पिता के साथ या फिर अपने टीचर के साथ साझा करके उसका उचित समाधान कैसे निकाला जाए इसकी जानकारी दी गई।उनको भावनात्मक रूप से डिस्टर्ब होने पर कैसे संभाला जाए और अपने आप को कैसे स्वस्थ रखा जाए इसकी जानकारी देकर उन्हें मोटिवेट करने का कार्य डॉ मंजू राठी करती आ रही है।
मासिक धर्म और उसके प्रबंधन पर जागरुकता प्रोग्राम
किशोरावस्था की संख्या में 50% लड़कियां भी होती है जिनमें और भी अलग तरह से बदलाव आते हैं । जिसमें "मासिक धर्म और उसका प्रबंधन" बहुत ही जरूरी हो जाता है। इसी अवस्था में उन्हें एक "जागरूक बेटी" के रूप में अपनी पहचान बनानी होती है। भारत में यह विषय काफी अरसे तक वर्जित रहा है। अभी भी महिलाओं में और लड़कियों में इसकी जानकारी की कमी है मासिक धर्म प्रबंधन कैसे किया जाए और स्वच्छता कैसे रखी जाए और सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल कैसे किया जाए और उनको इस्तेमाल करने के बाद किस तरह से फेंका जाए यह जानकारी बहुत जरूरी है जिसका के अभाव काफी लड़कियों में देखा गया है तो ऐसी संपूर्ण जानकारी डॉक्टर मंजू राठी ने आज स्कूल की लड़कियों दी और उनकी विविध शंकाओं का समाधान भी संगठन की सदस्यों द्वारा किया गया।
सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण के बारे में जानकारी
सर्वाइकल कैंसर एक बहुत बड़ी समस्या है देश में। सर्वाइकल कैंसर के लिए वैक्सीन उपलब्ध है और इस वैक्सीन को कई संस्थाएं लड़कियों को मुफ्त में लगवा रही है तो इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को कैसे मिले इसकी जानकारी संस्था द्वारा दी गई। और स्कूल के टीचर्स को भी इसके बारे में लड़कियों को मोटिवेट करने के लिए कहा गया ताकि 9 साल से ऊपर की लड़कियां सर्वाइकल कैंसर का टीका लगाकर आगे आने वाली समस्याओं से अपना बचाव कर सकती है।
मासिक धर्म प्रबंधन के लिए सेनेटरी किट का वितरण
आज भी मासिक धर्म पर लोगों की प्रतिक्रिया अच्छी नहीं है और उन्हें इसके बारे में बात करने में शर्म महसूस होती है। लड़कियां इसकी जानकारी के अभाव में संक्रमण का शिकार होती रहती है। इसीलिए मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया होने के बावजूद, कई गलत धारणाओं और प्रथाओं से जुड़ी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसीलिए एक लड़की को मासिक धर्म और उससे जुड़े परिवर्तन के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है और तभी वह अपने आप को स्वस्थ और निरोगी रख पाएगी। डॉ मंजू राठी ने इसकी संपूर्ण जानकारी उनके साथ साझा की। मासिक प्रबंधन की कड़ी में सखी सहेली संस्था और राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण और जनकल्याण संगठन की तरफ से सेनेटरी किट का वितरण किया गया जिसमें दो अंडरवियर और सैनिटरी नैपकिंस बच्चियों को मुफ्त में बांटे गए ताकि मासिक धर्म के दौरान वे स्वच्छता का ध्यान रख सके और संक्रमण से बचाव हो सके।
"चुप्पी तोड़ो- खुलकर बोलो" यह पुस्तक लाइब्रेरी के लिए भेज दी गई ।
डॉ मंजू राठी ,लाखों लड़कियों को इसके बारे में जानकारी दे चुकी है और पूरे देश में वह इस पर काम कर रही है। और उनका मानना है कि जब एक लड़की मानसिक,शारीरिक ,बौद्धिक ,आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ रहेगी तभी वह अपने सपनों को पूरा करने में सफल होगी और आसमान में स्वच्छंद उड़ान भरेगी । और उसकी इस उड़ान को पंख हमें ही देने हैं। इसीलिए डॉ मंजू राठी ने
"चुप्पी तोड़ो- खुलकर बोलो" यह पुस्तक लिखी है, जो लड़कियों और महिलाओं को इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देती है और यह पुस्तक स्कूल में भेंट स्वरूप दी गई ताकि वह लाइब्रेरी की शोभा बढ़ाएं और बच्चियों को इसका लाभ मिलता रहेगा।
हरियालो राजस्थान के तहत वृक्षारोपण
हरियालो राजस्थान के तहत आज गुरु पूर्णिमा पर जोगियों का नाडा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पौधारोपण भी किया गया।
इस अवसर पर डॉ मंजू राठी ,श्रीमती बबीता संचेती, बबीता अग्रवाल, रितु मेंगनानी, प्राध्यापक श्रीमती पुष्पा पातावत, शकुंतला टेलर, और सभी स्टाफ और विद्यार्थी उपस्थित रहे।।